लेखनी प्रतियोगिता - नौकरी
नौकरी
सुबह से लेकर शाम तक,एक पैर पर खड़े होकर,
औरत करती सारा घर का काम,
फिर भी उससे पूछा जाता,
कि आखिर तुम करती ही क्या हो?
बाहर जाकर करे नौकरी,
उसमें भी नही उसको आराम,
घर और बाहर दोनों संभाले,
फिर उससे पूछा जाता,
कि आखिर तुम करती ही क्या हो?
स्त्री तो स्त्री है,
अपने आत्मसम्मान को संभालते हुए,
अपने परिवार और समाज से लड़ते हुए,
गुजार देती है, अपनी पूरी जिंदगी,
पर भी उससे पूछा जाता,
कि आखिर तुम करती ही क्या हो?
स्व रचित:- प्रियंका वर्मा
31/5/22
Shrishti pandey
01-Jun-2022 08:48 PM
Nice
Reply
Priyanka Verma
01-Jun-2022 10:10 AM
Thank you so much 🙏💐😊💐💐
Reply
Punam verma
01-Jun-2022 09:06 AM
Nice
Reply